जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
गणेश जी की आरती हिंदुओं द्वारा अभिवादन के लिए प्रदर्शित एक धार्मिक प्रार्थना है, जो कि किसी भी शुभ कार्य या घटना की शुरुआत से पहले भगवान गणेश की पूजा के लिए की जाती है। 'आरती' शब्द का अर्थ है देवता के सामने दीपक का हाथ घुमाना, प्रकाश की भावना को दर्शाते हुए। इससे प्रकाश का विजय अंधकार पर होती है।
Ganesh Ji Ki Aarti is a devotional prayer performed by Hindus to worship Lord Ganesha, the remover of obstacles, before starting any auspicious work or event. The word "Aarti" means the waving of a lamp in front of the deity as an offering of light, symbolizing the triumph of light over darkness.